असुरक्षित पर्यटक और अतुल्य भारत

                                             कोलकाता और बोधगया के बीच एक जापानी महिला पर्यटक के साथ जिस तरह से एक महीने तक बंधक बनाकर दुराचार करने की घटना सामने आई है उससे भारत की छवि निश्चित तौर पर ही जापानी पर्यटकों के बीच में और भी अधिक धूमिल होने की पूरी सम्भावना है क्योंकि विदेशों में अकेले भी पर्टयन पर निकलने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक हुआ करती है और बौद्ध सर्किट के महत्वपूर्ण स्थान भारत में होने के कारण ही बुद्ध के अनुयायी देशों से लगातार पर्यटक यहाँ आते रहते हैं. ऐसा भी नहीं है कि भारत का पर्यटन से जुड़ा हुआ माहौल पूरी तरह से खराब ही है पर इस तरह की घटनाएँ और देश के बड़े शहरों में रात्रि के समय अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं के लिए जिस तरह से माहौल असुरक्षित रहने की ख़बरें लगातार सामने आती रहती हैं उससे विदेशों में भारत की छवि पर बहुत बुरा असर पड़ता है. यह सब अब कुछ ऐसा हो चुका है जिसे केवल साधारण समाचार ही नहीं माना जा सकता है और इसके बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता भी है.
                                    केंद्र और राज्य सरकारें पर्यटकों को लुभाने के लिए अपने स्तर से प्रयास ही कर सकती हैं और उन्हें देश के स्थलों तक ला भी सकती हैं पर आने वाले इन पर्यटकों को यदि स्थानीय लोगों द्वारा अच्छा माहौल और सुरक्षा मिल सके तो वे अपने देश जाकर यहाँ की तारीफ ही करेंगें जिससे जो अन्य लोग यहाँ आना चाहते हैं वे भी प्रेरित होंगें और स्थानीय लोगों के रोज़गार में वृद्धि भी होगी पर इस पूरे माहौल में जिस तरह से कुछ ऐसे तत्व भी बीच में सक्रिय रहा करते हैं जो सारा कुछ बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं तो उसके बाद सरकारों के हर प्रयास पर पानी ही फिर जाया करता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए सरकारी स्तर पर कुछ अन्य सुरक्षात्मक प्रयास भी किये जाने चाहिए जिससे देश में आने वाले पर्यटकों को इन तत्वों से बचाया जा सके जो इनको ठगने के लिए सक्रिय रहा करते हैं. अब राज्य सरकारों को केंद्रीय स्तर पर सूचनाओं के सही आदान प्रदान के साथ पर्यटकों को पूरी सुरक्षा देने की तरफ सोचना शुरू करना ही होगा जिससे हमारे ये अतिथि पूरी तरह से सुरक्षित रहकर अपनी यात्रा का आनंद उठा सकें.
                                   केंद्र सरकार को देश में आने वाले हर पर्यटक के लिए कुछ ऐसा कदम उठाने की आवश्यकता है जिससे वे देश के किसी भी राज्य में होने पर अपने देश के दूतावासों या स्थानीय कार्यालयों के संपर्क में आसानी से रह सकें. कई बार यहाँ आने वाले पर्यटक अति-उत्साह में किसी पर भी भरोसा कर लेते हैं जिससे वे बड़ी समस्या में उलझ जाते हैं यदि उनको इस बार में एक तय प्रक्रिया का अनुपालन करने के लिए बोला जाये तो उनके कहीं भी आने जाने की सूचना के बारे में सही जानकारी सदैव उपलब्ध रह सकती है. आज जब सरकार सूचना प्रौद्योगिकी को इतना अधिक महत्व देने में लगी हुई है तो पर्यटकों के लिए एक ऐसा पोर्टल भी बनाया जाना चाहिए जिस पर वे देश में आते ही अपनी पूरी यात्रा का विवरण डाल सकें और स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से वे निरंतर इस पोर्टल से जुड़े भी रहें जिससे उनके कार्यक्रम में किसी भी तरह के अप्रत्याशित परिवर्तन या अपनी स्थिति अपडेट न करने की स्थिति में सम्बंधित एजेंसियां उनके पिछले सक्रिय स्थान से उनके बारे में जानकारी लेना शुरू कर सकें. इस तरह के तंत्र के चालू हो जाने पर देश में सक्रिय असामाजिक तत्वों पर रोक लगाने के साथ पर्यटकों को सुरक्षित करने की दिशा में एक सकारात्मक कोशिश शुरू की जा सकेगी.
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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पाक प्रायोजित आतंक और भारत

                                                             अपने जन्म के समय से ही भारत को नीचा दिखाने की कोशिशों में लगा हुआ पाकिस्तान आज किस स्तर पर पहुँच चुका है इसका उसे अंदाज़ा नहीं है क्योंकि उसके यहाँ खुद घर के अंदर भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में जिहाद के नाम पर जिस तरह से चरमपंथी आतंकी संगठनों देश के धार्मिक स्वरुप पर कब्ज़ा करने की पूरी छूट दी गयी आज उसी के कारण वह अपने को दोराहे पर पा रहा है जिससे निकलने का उसके पास कोई रास्ता भी शेष नहीं है सिवाय इसके कि अब वह आतंक के खिलाफ अपनी दिखावटी लड़ाई को सच्ची लड़ाई में बदल कर आगे बढ़ने के बारे में सोचना शुरू कर दे. गुजरात की समुद्री सीमा में पोरबन्दर के पास ३१ दिसंबर रात को हुई घटना ने पहले से ही चौकन्नी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को और भी सतर्क करने का काम ही किया है क्योंकि अभी तक जिसे केवल एक खतरा माना जा रहा था अब वह वास्तविक रूप में पाकिस्तान की हताशा के रूप में सामने आ रहा है. यह सही है कि पाक पीएम और सरकार आजकल आतंक के मुद्दे पर मुखर दिखाई दे रहे हैं पर अभी भी उनको पाक सेना के साथ मिलकर आतंक के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है.
                       २६/११ भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के लिए बहुत बड़ी चुनौती सामने लेकर आया था और पोरबन्दर के पास जिस तरह से इस नौका को खोजकर इसका पीछा किया गया उससे यह पता चलता है कि अब किसी भी देश के लिए इस तरह का समुद्री दुस्साहस करवाना उतना आसान भी नहीं रह गया है क्योंकि अब भारत पहले से अधिक चौकन्ना और किसी भी संभवत समुद्री घुसपैठ युक्त हमले के लिए अच्छी तरह से तैयार भी है. पोरबन्दर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के सिलसिले में खुद पीएम भी उपस्थित रहने वाले थे तो इस तरह के किसी भी आतंकी मामले को देखते हुए सरकार को सम्मलेन के साथ आये हुए अतिथियों की सुरक्षा पर और भी अधिक ध्यान देना ही पड़ेगा. भारतीय सुरक्षा बलों के काम करने के तरीकों को जानने वाले सभी तत्वों को भी इस तरह की घटनाओं के लिए संभावित खतरों की पहचान भी करना सीखना होगा जिससे आने वाले समय में देश विरोधी तत्व किसी भी तरह से अपने मंसूबों को कामयाब न कर पाएं.
                       देश में स्वतंत्र मीडिया की भी इस तरह के मामलों में बहुत अधिक ज़िम्मेदारी बन जाती है क्योंकि कई बार सरकारी स्तर से बहुत कुछ छिपाया भी जाता है पर हमारे अतिउत्साही मीडियाकर्मी सरकार की बातों और बयानों की धज्जियाँ उड़ाने में लग जाते हैं इसलिए सुरक्षा से सम्बंधित मामलों में मीडिया को भी संभल कर रिपोर्टिंग करनी चाहिए तथा केवल कुछ नया खोज लाने के लिए ही किसी घटना के अजीबोगरीब पहलुओं पर बातचीत शुरू नहीं कर देनी चाहिए. यह सही है कि इस मामले में सरकार ने २४ घंटे बाद पूरे मामले का खुलासा किया है पर उसके पीछे क्या कारण रहे यह उसने नहीं बताये हैं तो इस बात को लेकर सरकार की मंशा पर पूरी तरह से संदेह करना भी सही नीति नहीं कही जा सकती है. आज के समय में किसी भी सरकार को जिस तरह की परिस्थिति से गुज़रना पड़ता है यह केवल सरकार में बैठे हुए लोग ही जान सकते हैं रक्षा मंत्री ने जिस तरह से यह संकेत दिया था कि पाक अभी भी नहीं मान रहा है तो उससे यही पता चलता है कि तब इस नौका मामले से निपटा जा चुका था. आज आवश्यकता सभी के अपनी हद में रहकर काम करने की है और किसी भी तरह की सनसनी आदि से भी बचने की भी बहुत ज़रुरत भी है जिससे कोई दोषी बचने न पाये और निर्दोष सजा न पा जाएँ.       
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…
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