भारत का "जल आतंकवाद"

                                               अपने चरमपंथी रुख के कारण सदैव चर्चा में रहने वाले तथा जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने जिस तरह से भारत पर वर्तमान में चल रही बाढ़ को लेकर जल आतंकवाद फ़ैलाने का आरोप लगाया है उससे उनके ज्ञान के बारे में ही पूरे विश्व को पता चल गया होगा. पिछले छह दशकों में कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र सबसे बुरी बाढ़ से जूझ रहे हैं और उस समय जब भारत सरकार ने अपनी तीनों सेनाओं के साथ सभी संसाधनों को राहत और बचाव कार्यों में झोंक रखा है तो सईद का यह दावा कितने लोगों को सही लगेगा यह तो समय ही बताएगा पर इससे उनकी हर बात में भारत का विरोध करने की मानसिकता का ही पता चलता है. असल में अपने अंदरूनी कारणों से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए इस समय बाढ़ प्रभावित सीमा पार के कश्मीर और पंजाब में सहायता पहुँचाने में दिक्कत हो रही है तो वह लोगों का ध्यान बंटाने के लिये ही ऐसे हथकंडों में शामिल लोगों के माध्यम से ऐसे बयान दिलवाने में लगा हुआ है.
                                              भारत-पाकिस्तान में जिस तरह से हर बात को लेकर तनाव बना रहता है तो इस तरह ई प्राकृतिक आपदा के समय भी वह ख़त्म कैसे हो सकता है. मानवीय आधार पर सहायता पहुँचाने के लिए भारतीय पीएम ने पाक को अपनी घाटी यात्रा के दौरान खुली पेशकश की थी जिसके लिए सरकारी स्तर पर औपचारिक धन्यवाद भी आ गया है पर परदे के पीछे भारत को हर बात के लिए ज़िम्मेदार ठहराने की कोशिशों के चलते पाक को विभिन्न सूत्रों से भारत पर हमला भी करना आवश्यक है वर्ना जनता पूछने लग सकती है कि भारत राहत कार्य कर सकता है तो पाक क्यों नहीं ? कश्मीर घाटी की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए दोनों देशों में कई स्थान ऐसे भी हैं जहाँ जो क्षेत्र जिस देश के कब्ज़े में है वहां तक उसके लिए पहुंचना कठिन है पर सीमा के दूसरी तरफ से उन क्षेत्रों तक पहुंचना बहुत आसान है तो क्या मानवीय मूल्यों को ऊपर रखते हुए इन क्षेत्रों में कोई सहयोग एक दुसरे को नहीं दिया जा सकता है ?
                                             पाकिस्तान से तो ऐसे किसी भी मुद्दे पर सहयोग की अपेक्षा नहीं की जा सकती है क्योंकि उसका अस्तित्व ही भारत विरोध पर टिका रहता है. हमारी सेना अपने क्षेत्र में राहत कार्य करने के लिए पूरी तरह से सक्षम और स्वतंत्र है पर सीमा पार के गांवों में जो हालात हैं उन पर किसी का कोई बस नहीं चल सकता है. भारत को अपनी तरफ से संयुक्त राष्ट्र में मानवीय आधार पर एक ऐसा प्रस्ताव रखना चाहिए कि पूरी दुनिया में किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदा के समय जिस भी देश से राहत सामग्री पहुँचाना आवश्यक और आसान हो उसे इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था की निगरानी में पहुंचाए जाने के लिए कोई सहमति बनायीं जा सके क्योंकि कई बार दो देशों के सम्बन्ध भी उन देशों के नागरिकों पर सिर्फ इसलिए ही भारी पड़ जाते हैं  कि उनके बीच सीमा पर सब कुछ ठीक ठाक नहीं है ? पाक का काम अनर्गल प्रचार करना ही है तो वह हर स्तर से उसका प्रयास ही करेगा पर भारत ने अपने नागरिकों के लिए सभी संभव सहायता उपलब्ध करा उनकी समस्याओं में साथ खड़े होकर मानवीय मूल्यों का सम्मान कर लिया है.   
मेरी हर धड़कन भारत के लिए है…

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